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बाबा साहब को अपमानित करने की साजिश?

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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इन दिनों टेलीविजन पर एक विज्ञापन दिखाया जाता है जिसमें मिस्ड कॉल देके ” ग्रेट इंडियन ” चुनने को कहा जाता है | ये चुनाव करवाने वाली CNN , IBN , TV18 जैसी टीवी चैनल कंपनिया हैं, इस प्रयोगिता में विभिन्न क्षेत्रो ( राजनिती , कला, सिनेमा , साहित्य आदि ) में विख्यात लोगो को चुना जाना है |

विज्ञापन में कहा जाता है की महात्मा गाँधी के बाद कौन “ग्रेट इंडियन ” होगा ? उसका चुनाव करे ….

इस प्रयोगिता में शामिल नाम की सूचि में बाबा साहब आंबेडकर , जवाहर लाल नेहरु ,इन्द्रा गाँधी , लाता मंगेशकर , अटल बिहारी , सचिन तेंदुलकर , अब्दुल कलाम, अमिताभ बच्चान, ऍम .यफ हुसैन , बाबा आप्टे, राज कपूर , रजनीकांत आदि हैं |

इस प्रतियोगिता की एक खास बात लगी जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया ..वो थी IBN18 के चीफ आडिटर राजदीप सरदेसाई जी का ये कहना की ‘महत्मा गाँधी’ के बाद कौन होगा GREATEST INDIAN ? (यानी गाँधी पहले से ही महान हैं उनके नाम को प्रतियोगिता में शामिल करने की जरुरत नहीं )|

एक तरफ जहां इन कंपनियों ने महत्मा गाँधी के नाम को बिना प्रतियोगिता में शामिल किये ही स्वयं ही पहला “GREATEST INDIAN ” घोषित कर दिया वही एक आम प्रतियोगी की तरह इस में बाबा साहब के नाम को शामिल कर लिया|

यानी गाँधी बिना लड़े “महान” घोषित हो गए ( जैसे सरकार की मेहरबानी से राष्ट्रपिता हो गए ) और बाबा साहब को आम नागिरीको की तरह प्रतियोगिता लड़ कर अपने को “महान ” सिद्ध करना होगा !!!

शायद ये प्रतियोगिता कराने वाले गाँधी और बाबा साहब के अंतर को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर जानबूझ कर पुब्लिसिटी पाने के लिए बाबा साहब का नाम इसमें शामिल किया है , एक दलित के लिए जब बाबा साहब का नाम आता है तो सैकड़ो ” गाँधी” उसके लिए तुच्छ हो जाते हैं |

बाबा साहब एक दलित के लिए किसी भगवानसे कम नहीं, जो काम दलितों के लिए बाबा साहब ने किया वो काम गाँधी कभी नहीं कर पाए बल्कि “हरिजन ” नाम देके और अपमानित कर दिया|

सरकार का इस प्रतियोगिता में गाँधी का नाम न शामिल करना और नेहरु , मकबूल फ़िदा हुसैन और अमिताभ जैसे लोगो का मुकाबला बाबा साहब के साथ करना दलितों की भावनाओ को आहत करना है नहीं है ?, बाबा साहब को महान होने के लिए किसी प्रतियोगिता की आवश्यकता नहीं … .और इस तरह के प्रतियोगिता में बाबा साहब का नाम शामिल करना उनके नाम को धूमिल करना है|

अतः दलित नेताओ और अन्य नेताओं को जिन्हें सविंधान निर्माता बाबा साहब पर आस्था है उन सभी को सरकार पर ये दबाव बनाना चाहिए की वो इस प्रतियोगिता में से बाबा साहब का नाम क्षमा याचना सहित वापस ले और भविष्य में ऐसी गलती न करे |

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