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ये मंदिर-मस्जिद क्यों?

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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यूनिसेफ (UNISEF) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है की भारत में कुपोषण, गन्दगी से होने वाले संक्रमण, निमोनिया, डायरिया, जैसी कई बिमारियों और गरीबी के कारण माँ बाप द्वारा बच्चो का उचित देख भाल ना होने से लगभग दस लाख बच्चे प्रतिवर्ष काल का ग्रास बन जाते हैं |

जाहिर सी बात है कि इन मौतों का सीधा कारण भारत की लचर स्वास्थ सेवाएं हैं, सरकार की उदासीनता के कारण ग्रामीण इलाको में जनस्वास्थ सेवाएं ना के बराबर हैं ,५-६ गाँव के बीच एक डिस्पेंसरी या जच्चा -बच्चा केंद्र होता है और उसकी भी हालत दयनीय होती है | अस्पताल होता भी है तो वो पूरे जिले में एक, उसमें भी कभी डाक्टर नहीं होता तो कभी दवाईयां |

इसी तरह से भारत शिक्षा का भी हाल बुरा है, गरीबी, विद्यालयों की कमी, शिक्षकों की कमी, माध्यमिक विधयालों में मूल-भूत सुविधायों की कमी आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे भारत शिक्षा में पिछड़ा हुआ है | गाँव में स्कूल ना होने के कारण लगभग २०% बच्चे स्कूल का मुंह तक नहीं देख पाते, उनमें से लड़कियों की संख्या अधिक है |

और अब आपको मैं भारत का दूसरा पहलु दिखाता हूँ …..

आपको ये देख कर हैरत होगी भारत में अस्पतालों और विधयालों की हालत खस्ता मिलेगी पर मंदिर-मस्जिद आदि धर्म स्थलों की हालत एक दम भव्य मिलेगी, घरो से ऊँची धर्म स्थलों की मीनारे, पक्के फर्श |

लोगों के पास अपने घरों की टूटी छतों की मरम्मत के पैसे नहीं होंगे पर मंदिर-मस्जिद में टाईलें लगवाने के लिए चंदे का इंतजाम जरुर कही ना कहीं से कर देंगे|

आपने ये खबर तो पढ़ी ही होगी की हाल में ही दिल्ली के सुभाष पार्क जो कि लालकिले के सामने स्थित है वहां दिल्ली मेट्रो के काम के कारण खुदाई चल रही थी| खुदाई करते समय सुभाष पार्क में किसी ईमारत के अवशेष मिले, अवशेष मिलने की सूचना सुनते ही वहां के स्थानीय मुस्लिम विधायक अपने समर्थको के साथ एकत्रित हो गए और उस ईमारत के अवशेष को मुग़ल कालीन मस्जिद करार दे दिया। उस स्थानीय विधायक साहब ने अपने समर्थको के साथ मिल के वहां मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है और आश्चर्य देखिये कि लोगों ने रात भर में ही मस्जिद की दीवार खड़ी कर दी| विधायक और कई और मुस्लिम नेता ये मांग कर रहे हैं कि उस खंडहर के स्थान पर नई मस्जिद का निर्माण हो, सरकार पर दवाव बनाने के लिए पिछले जुम्मे को वहां दस हज़ार से अधिक मुस्लिमों ने नमाज़ भी पढ़ ली| शायद सरकार ये मामला आस्था से जुड़े होने के कारण उनकी मांगो को मान भी ले और मस्जिद निर्माण की आज्ञा दे दे या फिर उसे राष्ट्रिय धरोहर घोषित कर दे , पर इससे मेट्रो को जरुर २०० करोड़ का घटा होगा|

मुझे ये बताईये कि अगर एक मस्जिद और बन गई तो उससे क्या होगा? क्या अल्लाह तक आपकी आवाज और जल्दी पहुँच जाएगी? उसके पास ही जामा मस्जिद है जहां पहले से नमाज पढ़ी जाती है, क्या वहां से अब नमाज पढने से अल्लाह खुश नहीं होगा? क्या देश का विकाश (मेट्रो ) को रोकना जायज है ? क्या एक और मस्जिद बनाने से मुस्लिम समाज तरक्की करने लग जायेगा ?

क्या रातो रात मस्जिद का निर्माण करने वाले हाथ कभी किसी अस्पताल या स्कूल का भी निर्माण भी इसी तरह रातों-रात कर सकते हैं? जहां हजारों बिमारों का इलाज हो सके या जिसमें पढ़ के बच्चे देश में फैली अशिक्षा को दूर कर सके?

लगभग ऐसा ही हाल हिन्दुओं का भी है, देश में लाखो की संख्या में मंदिर क्षीण अवस्था में पड़े हुए हैं जिनका कोई देखभाल करने वाला नहीं पर इन्हें फिर भी नए मंदिर बनवाने से फुर्सत नहीं, एक से एक बड़े और महंगे मंदिर बनवाये जा रहे हैं| मंदिरों में अरबो का खजाना दबा पड़ा है फिर भी देश की जनता फांके मार रही है ……आखिर किस काम का है वो धन ? क्यों नहीं उसका उपयोग देश की भलाई में किया जाता ?

देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी से जूझ रही है जिसके पास दो वक्त के खाने की रोटी भी नहीं है। बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण, स्वास्थ सेवाओं की कमी आदि अब भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है जिससे देश विकाश में पीछे होता जा रहा है | यहां तक की जो देश भारत के बाद आजाद हुए है पर उनकी अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था से मजबूत होती जा रही है |

माना की इसमें अधिक दोष सरकार का है पर ये भी कडवा सत्य है की लोग जैसे होते हैं वैसी ही सरकार भी चुनते है, जब हम खुद नहीं सुधरेंगे तो सरकार कैसे सुधार सकती है ?

आज देश को मंदिर या मस्जिद की नहीं अस्पताल , विद्यालयों , उद्योग कारखानों की जरुरत है जहां से देश स्वास्थ ,शिक्षित और आत्मनिर्भर हो सके |

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