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हाल में ही दिल्ली के सुभाष पार्क जो कि लालकिले के सामने स्थित है वंहा दिल्ली मेट्रो के काम के कारण खुदाई चाल रही थी | खुदाई करते समय सुभाष पार्क में किसी ईमारत के अवशेष मिले , अवशेष मिलने की सूचना सुनते ही वंहा के स्थानीय मुस्लिम विधायक अपने समर्थको के साथ एकत्रित हो गए और उस ईमारत के अवशेष को मुग़ल कालीन मस्जिद करार दे दिया | जबकि पुरात्तव विभाग ने ऐसी किसी बात से इंकार कर दिया पर फिर भी उस स्थानीय विधायक साहब ने अपने समर्थको के साथ मिल के वंहा मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है (हालाकिं पुलिस और नागर निगम ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है ) खबर के लिए क्लिक करे | विधायक और कई और मुस्लिम नेता ये मांग कर रहे हैं की उस खंडहर के स्थान पर नयी मस्जिद का निर्माण हो , सरकार पर दवाव बनाने के लिए पिछले जुम्मे को वंहा दस हज़ार से अधिक मुस्लिमों ने नमाज़ भी पढ़ ली |
अगर उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण होता है तो दिल्ली मेट्रो को लगभग दो सौ करोड़ का घाटा तो होगा ही उसके आलावा समाज में कटुता अलग से आयेगी|
क्यूँ की जाहिर सी बात है हिन्दू संघठन भी भविष्य में ऐसी मांग करेगा(विश्व हिन्दू परिषद् ने मस्जिद निर्माण का विरोध करना भी शुरू कर दिया है) क्यूँ की ये सभी जानते हैं की देश में कई ऐसे स्थान है जहाँ मंदिर तोड़ के दूसरे धर्म के लोगो ने अपने इबादत स्थल बनाये गए हैं|
सुभाष पार्क के सामने है लालकिला , आपने ये तो सुना होगा की काबा और ताज महल हिन्दू मंदिर थे पर क्या आपने ये सुना है की लाल किला भी (कम से कम मेरा तो ऐसा मानना है ) भी एक हिन्दू मंदिर था ???
इतिहासकारों के अनुसार लालकिले को शाहजहाँ ने 1639 AD में बनवाया पर कुछ इतिहासकारों का कहना है की वास्तव में लालकिला पृथ्वीराज ने बारहवीं शताब्दी में पूरा बनवाया था जिसका नाम “लाल कोट “था जिसे तोमर वंश के शासक ‘अंनग पाल’ ने १०६० में बनवाना शुरू किया था |
आपने लालकिला तो शायद कई बार देखा होगा पर इस बार मेरी नज़र से देखिए….. पेश हैं कुछ तस्वीरें और तर्क आप देखिये और स्वयं निर्णय लीजिये की क्या “लाल किला” कभी ‘लाल कोट’ या हिन्दू मंदिर रहा होगा ?
1- लाल किले के मुख्य द्वार के फोटो में बने हुए काले गोले में देखिये , आपको अमूमन ऐसी अलमारियां हिन्दू घरो के मुख्य द्वार पर या मंदिरों में मिल जायंगी जिनपर गणेश जी विराजमान होते हैं |
अगर कोई मुग़ल किला बनवाता है तो उसे ऐसी अलमारी की क्या जरुरत ?
2-लाल गोलों में देखिये सूरजमुखी और कमल के फूल |
क्या किसी मुग़ल किले में आपने ये दोनों फूल जो की हिन्दू देवताओं या हिन्दू धर्म से सम्बंधित हैं देखा है ?
3-हिन्दू धर्म के भगवान शिव को धतुरा बहुत प्रिय है ( ऐसी मान्यता है हिन्दुओं की) इस लिए शिव को प्रशन्न करने के लिए उनके भक्त धतुरा चढाते हैं | धतूरे का चित्र आप कई उत्तर भारत के शिवालयों में भी देख सकते हैं, पर लालकिले में धतूरे का चित्र !!!!! कुछ समझ नहीं आता !!
असली फोटो देखिये धतूरे की …हैं ना लाल किले की दीवारों पर धतूरे की फोटो???
क्या शाहजहाँ शिव भक्त था ?????
4- लाल किले में स्थित इबादत खाने के दरवाजे पर स्थित कुंडा जिसपर हाथी और महावत की बनावट के हैं , अमूमन ऐसे कुंडे आप को मंदिरों के दरवाजो पर मिल जायेंगे , क्यूँ की हाथी हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है जैसे की ऐरावत हाथी और स्वयं गणेश भगवान भी हाथी का ही रूप थे
पर इस्लामी इबादत खाने में हाथी की उपस्थिति कुछ समझ नहीं आई ? हाथी यानि मूर्ति …मूर्ति इस्लाम में हराम है | फिर ये मूर्ति क्यूँ?
5-अब सबसे बड़ी बात ….इस्लाम में सूअर को हराम माना जाता है , उसको पलना तो दूर उसका नाम लेना भी हराम समझा जाता है पर आप को ये देख कर हैरानी होगी की लाल किले में सूअरके मुंह की आकृति वाला बरसाती पाइपहै !!!!
क्या शाहजहाँ मुस्लिम नहीं था या उसके लिए सूअर हराम नहीं था ? क्या आपने कभी मस्जिद या मुस्लिम मकानों के निर्माण में सूअर की आकृति वाली कोई वास्तु का प्रयोग होते देखा है ?
जबकि हिन्दू धर्म में वरहा( सूअर ) का वर्णन है |
मित्रो , ब्लॉग लम्बा हो जायेगा इसलिए अभ�� बस इतना ….मेरे पास और भी तस्वीरे हैं वो आपको अगले लेख में दिखाऊंगा |
मित्रो, आप सब को कैसी लगी ये तस्वीरे ? क्या इनमें कुछ सच्चाई है ? क्या आप भी मानते हैं की कभी लाल किला हिन्दू मंदिर या हिन्दू राजा ने बनवाया होगा ?
क्या आप भी मानते हैं की इतिहासकारों ने जिस तरह ताजमहल की सच्चाई छुपायी उसी तरह लाल किले की भी ?
कृपया अपनी अमूल्य टिप्पणियों से अवगत जरुर कराईयेगा ताकि इन तस्वीरों को खीचने में और और आप के सम्मुख प्रस्तुत करने की मेहनत सफल हो सके |
और हो सके तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर कीजियेगा ताकि सच पता चल सके लोगो को |
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