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आरक्षण का विरोध करने से पहले

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है है जिसको लेके सवर्णों की भौंहे हमेशा  तनी रहती हैं,  दलितों को संविधान आरक्षण क्यों और कैसे दिया गया है ये शायद बताने की जरुरत नहीं है |

अगर  समाज में दलितों को सही भागीदारी और सम्मान मिलता तो  शायद तो सरकार को आरक्षण देने की जरुरत नहीं पड़ती, जो काम स्वयं समाज को आगे आके करना चाहिए था वो मजबूरन सरकार  को करना पड़ा|

सवर्णों द्वारा  जिस जातिवाद  और  छुआ-छूत  के कारण हिन्दू धर्म का विघटन होता  रहा और धर्म परिवर्तन होता रहा उस से कोई सबक न लेके स्वर्ण द्वारा  जातिवाद जस का तस समाज में व्याप्त रहा |

आज भी अगर दलित बड़े पैमाने पर ईसाई और इस्लाम अपना रहा है उसका सीधा कारण यही जातिवाद और छुआ-छूत से त्रस्त होना ही है |

कुछ उदहारण देखिये जो आज भी भारत में  दलित जाती के लोगो के साथ हो रहा :-

प्रत्येक दिन होने वाले अत्याचार

१- तीन दलित महिलाओं के साथ प्रतिदिन दुष्कर्म
२- दो दलितों की हत्या और ग्यारह के साथ मारपीट
३- एक दलित का घर जला या कब्ज़ा लिया जाता है

ये तो थी दलितों के साथ  प्रत्येक  दिन होने वाली घटनाएं जो शायद ही मुख्य खबरों में आ पाती हैं, भारत में उनकी  सामजिक और आर्थिक स्थिति क्या है जरा उस पर गौर कीजिए|
1- लगभग 47 % दलित अब भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है|
2- लगभग 54 % दलित बच्चा कुपोषण का शिकार है |
3- 1000 में से 83  दलित बच्चे अपने पहले जन्म दिन से पहले ही मर जाते हैं |
4- 45 % दलित अब भी लिखना – पढना नहीं  जानते |
5- केवल 27 % दलित स्त्रियां ही अपने अपनी प्रसूति हस्पतालों में करवा पाती है , इनमे से शहरों में रहने वाली स्त्रियों की संख्या अधिक है |
6- लगभग एक चौथाई दलितों के घरों में  अब भी मूल- भूत सुविधाए( शौचालय , रसोई घर , स्नान घर आदि)  नहीं   हैं |
7- 33 % गावों में  पब्लिक हेल्थ वर्कर दलितों के घर जाने से माना कर देते हैं |
8- भारत के 37 % गावं के पुलिस थानों में दलितों की रिपोर्ट ही  नहीं लिखी जाती , कही थाने  तो ऐसे हैं जहाँ दलित प्रवेश नहीं कर सकता |
9- 38.6 % सरकारी स्कूलों में दलित बच्चो को भोजन करते समय अलग बैठाया जाता है |
10-  भारत के 48.5 %  गावों में अब भी दलितों के जल स्रोत सवर्णों  से अलग है , दलित भूल कर भी सवर्णों के जल स्रोतों से जल नहीं ले सकता वर्ना उसको कड़ी सजा मिलती है |
11- निम्न काम समझे जाने वाले जैसे -मल उठाना , सफाई करना , मरे हुए जानवरों की खाल  उतरना आदि काम  98 .7 %  अब भी दलित ही करता है |
12-   भारत के 58 % मंदिरों में दलितों का प्रवेश वर्जित है |
source –
१- http://idsn.org/country-information/india/

२- पुस्तक – Dalit – The Black Untouchables of India, by V.T. Rajshekhar. 2003 – 2nd print, Clarity Press


ये तो थे कुछ उदहारण  जो दलित के  हिस्से में हजारो सालो से  हैं , आज भी आपको कोई स्वर्ण किसी को “चमार ” या “भंगी ” कह कर गली देता हुआ मिल जायेगा |


पर आज जब आरक्षण द्वारा दलितों की दशा सुधारें की एक छोटी सी पहल होती है तो वो भी सवर्णों की आंख में कांटा बन के चुभने लगता है | क्या स्वर्ण बंधू  आरक्षण का विरोध करने से पहले  वो सब करने और झेलने के लिए तैयार हैं जो दलित  हजारो सालों से करता और सहता आ रहा है ?  क्या स्वर्ण बंधू मल उठाने , गटर साफ़ करने,  संडास साफ़ करने , पशुओं की खाल उतारने जैसे कार्यों में जो की  केवल दलितों  के लिए ही  अरक्षित कर दिया गया है उसका विरोध कर सकते हैं ? क्या स्वर्ण  बंधू वो जाती सूचक  गलियां खाने के लिए तैयार हैं जो उनके द्वारा  दलितों  के लिए बनायीं है?

यदि नहीं तो फिर आरक्षण का विरोध क्यों ?

LIFE IN INDIAAarti

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