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शौचालय और देवालय

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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मोदी जी का बयान ” पहले शौचालय बाद में देवालय” आते ही कांग्रेस की बांछे खिल गयी , कांग्रेस भला इस मुद्दे को कंहा छोड़ने वाली थी ? सो लपक लिया । जयराम रमेश जी तो से इस अवसर के लिए दो साल से ताक लगाये बैठे थे , आखिर जब उन्होंने कुछ ऐसा ही बयान दिया था तब बीजेपी ने उनकी ऐसी -तैसी कर के रख दी थी। हलाकि उनका बयान और मोदी का बयान दोनों ही अलग मायने रखते हैं , जंहा रमेश जी ने सीधे ही कहा था की शौचालय मंदिर से ज्यादा पवित्र होते हैं वंही मोदी ने कहा की पहले शौचालय बाद में देवालय ।

देखा जाये तो यह ठीक भी है, सुबह उठते ही कोई भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी धर्म या मजहब का हो सीधा शौचालय ही भागता है बाद में पूजा – नमाज करता है और यदि घर में शौचालय रहेगा तो परिवार के सदस्यों को आसानी होगी स्त्रियों को तो और सहूलियत होगी ।

पर मन में यह प्रश्न उठता है की आखिर मोदी ने “शौचालय ” के ” देवालय” की तुकबंदी क्यों की? हलाकि वो चाहते तो देवालय प्रयोग न कुछ और भी तुकबंदी कर सकते थे , पर उन्होंने नहीं की । बल्कि देवालय शब्द का प्रयोग करने से पहले उन्होंने यह भी कहा की वो जो कहने जा रहे हैं वो उनकी हिन्दुवादी छवि के अनुरूप नहीं है । उन्होंने जो भी कहा पुरे होशो-हवास में कहा ।

तो, इसका मतलब यह हुआ की उनकी शौचालय के देवालय की तुकबंदी पहले से तय की गयी रणनीति थी ? अब प्रश्न यह है की आखिर यह रणनीति क्यों बनानी पड़ी? कंही ऐसा तो नहीं की वो समझ गए हैं की यदि उन्हें प्रधानमंत्री बनना है तो केवल हिंदूवादी चेहरा लेके संभव नहीं है ? इसलिए वो गैर हिन्दुओं को जता रहे हों की उनके एजेंडे में मंदिर( अयोध्या मंदिर ) नहीं है या है भी तो बहुत बाद में।

कंही ऐसा तो नहीं उनका “शौचालय ” [ विकास(?) ] है और “देवालय” (अयोध्या मुद्दा )?
इसलिए वो हिन्दुओं को सन्देश दे रहे हों की अब आप मंदिर मुद्दे को भूल जाईये , उनके हिंदूवादी चेहरे को भूल जाईये और केवल विकास (?) की बात कीजिये ?

अगर ऐसा है तो सोचता हूँ मेरे उन हिन्दू भाइयों का क्या होगा जो मोदी को लेके पागल हैं और वो मानते है की मोदी आएंगे तो अयोध्या में मंदिर बनेगा? मोदी को हिन्दूहृदय सम्राट मानने वालो को कितना दुःख पहुचेगा ?

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