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सरला का धर्मपरिवर्तन-1

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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सरला एक हँसमुख ,बहुत खूबसूरत और बुद्धिमान लड़की थी ,  अभी अभी  दिल्ली के एक नामी व्यवसायिक कॉलेज में एडमिशन लिया था । एकलौती और पढ़ने में तेज होने के कारण  माता-पिता उससे बहुत प्यार करते थे , उसकी हर छोटी बड़ी इच्छा को पूरी करने का भरकस प्रयास करते इसलिए सरला थोड़ी जिद्दी किस्म कि भी हो गयी थी ।

सरला को कॉलेज जाते हुए 6  महीने से अधिक हो गए थे , वह सुबह सात बजे बस स्टेंड पर पहुच जाती जंहा से वह कालेज बस पकड़ती । दो दिनों से वो नोटिस कर रही थी कि बस स्टैंड पर एक लड़का रोज उसी समय बस स्टेंड पर पहुच जाता जिस समय वह पहुचती , उसे  लगता जैसे  कि वह लड़का उसी के लिए आता हो। क्योंकि सरला जैसे ही कॉलेज कि बस पकड़ती वह लड़का भी वंहा से चल देता ।

लड़का था देखने में आकर्षक बिलकुल किसी मॉडल कि तरह , सरला का सोचना सच साबित हुआ । एक दिन सरला बस स्टेंड पर अकेली थी शायद बस थोड़ी लेट थी । तभी वह लड़का सरला के  पास आया  और धीरे से बोलता है – हेलो सरला जी “

सरला अपना नाम उस अजनबी लड़के के मुंह से सुन कर चकित हो गयी ,  अस्चर्य और गुस्से से पूछा – तुम्हे मेरा नाम कैसे पता चला ? और तुम कौन हो?

लड़के ने  विनम्रता  से कहा – जी  नाराज मत होईये , मेरा नाम प्रिंस है और मुझे आपका नाम आपके ही एक मित्र से पता चला है ।

सरला पूछने ही वाली थी कि किस मित्र से उसे उसका नाम पता चला है परन्तु उससे पहले ही लड़का बिना रुके बोलता रहा – अब यह न पूछिए कि किस मित्र से पता चला है , मैं बताऊंगा नहीं – लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा ।

प्रिंस ने फिर कहा – मुझे यह भी पता है कि आप कंप्यूटर इंजीनियरिंग कर रहीं है , मुझे भी कम्पूटर में इंटरेस्ट है ।
सरला अब भी उस लड़के को गुस्से से देख रही थी ,  उसने कुछ कहना चाहा परन्तु तभी उसकी कॉलेज कि बस आ गयी । सरला ने बस पकड़ी और खिड़की वाली सीट पर  बैठ गयी ,  पीछे  देखा   तो वह लड़का अब भी बस स्टेण्ड पर  खड़ा हुआ मुस्कुराते हुए उसको हाथ हिला रहा था ।

सरला सारे  रास्ते  भर प्रिंस के बारे में सोचती रही , कॉलेज में भी उसको रह रह के सुबह कि घटना याद आ रही थी ।
अगली सुबह जब कॉलेज के लिए सरला फिर बस स्टेण्ड पर पहुची तो प्रिंस पहले से ही वंहा मौजूद था । उसने सरला को देखते ही मुस्कुरा के हेलो कहा ,  सरला ने भी हेलो कहा क्यों कि अब सरला का गुस्सा शांत हो चूका था , और फिर प्रिंस का व्यक्तित्व ही  कि सरला उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी थी ।

इस  प्रकार धीरे धीरे दोनों रोज ही मिलने लगे, अब सरला बस स्टेंड पर जल्दी पहुच जाती और प्रिंस भी जल्दी आ जाता , दोनों में ढेरो  बाते होती । यह मुलाकाते अब बस स्टेंड से निकल कर पार्को-मॉल्स और सिनेमा  पहुच गयी थी , फोन पर मेसेज और कॉल्स पर भी  तक बाते होती ।

मात्र तीन महीने में ही सरला प्रिंस के प्यार में बुरी  तरह से  गिरफ्त हो चुकी थी , उसे  हर तरफ सिर्फ और सिर्फ प्रिंस ही प्रिंस नज़र आता ,सोते जागते ,पढ़ते हर समय वह प्रिंस के ख्यालो में ही  खोई रहती । अब सरला का प्रिंस के बिना जीना मुस्किल था , प्यार इतना  परवान चढ़ा कि बात शादी तक पहुच गयी। प्रिंस भी चाहता था कि उसकी शादी सरला से जल्द से जल्द हो जाये ,सरला भी यही चाहती थी , वो प्रिंस को लेके सुनहरे सपने सजाने लगी थी परन्तु प्रिंस ने सरला से जो शर्त  रखी उसे सुन कर सरला के होश उड़ गए |

बात दरअसल यह थी कि प्रिंस दूसरे मज़हब का था और उसका नाम आरिफ़ था , यह बात प्रिंस ने अब तक सरला से छुपाई थी । शर्त यह थी कि यदि सरला को प्रिंस से शादी करनी  है तो उसे अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ेगा , सरला प्यार में सबकुछ भूल चुकी थी वह धर्मपरिवर्तन के लिए तैयार थी   उसने बचपन से यही समझाया गया कि सभी धर्म-मजहब बराबर हैं ।

परन्तु कुछ करने से पहले सरला एक बार अपने घरवालो से बात करना चाहती थी हलाकि प्रिंस इस बात के लिए तैयार नहीं था कि सरला इस बारे में किसी से बात करे वो चाहता था कि सरला चुपचाप उसके   साथ भाग जाये । पर सरला एक बार अपने माँ बाप से  इस बारे में एक बार सही पर बात जरुर करना चाहती थी।

सरला  ने जब अपनी माँ यह बात बतायी तो माँ के पैरो से जमीन खिसक गयी , वह सरला पर बहुत गुस्सा हुई , दो चांटे भी  लगाये , पर सरला टस से मस नहीं हुई वो गुस्से से बोली -मेरा फैसला कोई नहीं टाल सकता मैं आरिफ से बहुत प्यार करती हूँ उसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ अगर आप लोग नहीं माने तो मैं घर छोड़ के आरिफ के साथ चली जाउंगी ।

माँ खामोश हो गई , वो समझ गयी कि अब सरला को समझाना बेकार है , शाम को जब सरला के पिता जी सुरेश चंद आये तो माँ ने सारी बात बताई । सुरेश चंद ने सरला को बुलाया और  बात जानी ,  लाख समझने पर भी सरला नहीं मान रही  थी ।

वो समझ गए कि मामला बहुत गम्भीर हो चूका है और अब सरला प्यार/ मार से नहीं समझने वाली है । सुरेश चंद कमरे से बहार निकल गए , बहार जा के उन्होंने  छोटे भाई सुन्दर को फोन किया और उसे तुरंत आने को कहा ।
पांच मिनट में ही सुन्दर अपने बड़े भाई  घर था , सुन्दर आते ही रमेशचंद सारी बात बता दी की सरला चाहती है । सुन्दर  को भी यह जानकर बड़ा दुःख हुआ कि सरला जिसे  अबतक एक बच्ची समझाता था  वो शादी करने  धर्मपरिवर्तन तक करने को तैयार है ।

सुन्दर भी सरला को समझाना चाहता था परन्तु सरला ने अपने कमरे का दरवाजे उसके लाख कोशिश करने के बाद भी  नहीं खोले ।

क्रमश:

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