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सरला का धर्मपरिवर्त्तन -2

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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मित्रो, अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह सरला और आरिफ़ का प्यार होता है, आरिफ़ सरला से शादी करने के लिए उसका धर्मपरिवर्तन करवाना चाहता है। यह बात जब सरला अपने परिवार में बताती है तो बहुत हंगामा होता है , परिवार के लाख समझाने पर भी सरला फैसला नहीं बदलती है। सुरेशचंद यह बात अपने छोटे भाई सुन्दर को बताते हैं , सुन्दर के समझाने के बाद भी सरला नहीं समझती है।

अब आगे…..

सुन्दर ने सुरेशचंद को समझाते  कहा- भैया , बात बहुत आगे तक बढ़ गयी है , और अब हमारी हद से बाहर है “

सुरेशचंद ने दुखी मन से पूछा – तो अब क्या  किया? क्या सरला को मनमानी करने दें ?

सुन्दर ने कहा – ”  हिम्मत मत हारिये भाई साहब , कुछ न कुछ जरुर होगा ‘

मेरा मित्र  है, जो कि पुलिस में है और इस एरिया का  थानाध्यक्ष है , उससे सलाह लेते हैं – सुन्दर ने कहा

दोनों ने मोटरसाइकिल निकाली और उसी समय थाने पहुच गए।

थानाध्यक्ष चंद्रभान रात के गस्त पर था , थोड़ी देर इन्तेजार के बाद  चंद्रभान वापस आया । सुरेशचंद और सुन्दर ने उससे हाथ मिलाया ,चंद्रभान ने  हवलदार से  चाय लाने के लिए कहा और दोनों से रात में आने का कारण पूछा ।

सुन्दर ने सारी  बात विस्तार से बतायी , सारा मामला सुनकर चंद्रभान गम्भीर हो गया ।

सुन्दर ने कहा – चन्द्र  , अब अगर तुम कुछ कर सको तो कर सको वर्ना बात हमारे हाथ से निकल  चुकी है , बालिग़ होने के कारण सरला पर हम ज्यादा दबाब भी नहीं डाल सकते ।

तब तक हवलदार चाय ले आया , तीनो ने चाय ख़त्म की । चंद्रभान बोला – ठीक है सुन्दर , तुम सुबह सरला को लेके  आओ ,  देखता हूँ कि क्या किया जा सकता है ।

ठीक है चन्द्र भाई ” सुन्दर ने कहा । दोनों ने चंद्रभान से विदा ली और वापस घर  आ गए ।

अगली सुबह सुरेशचंद और सुन्दर सरला को लेके थाने में चंद्रभान के पास पहुचे । चंद्रभान अपनी कुर्सी पर  बैठा मिल गया , सभी ने चंद्रभान से नमस्ते किया और सामने पड़ी  खाली कुर्सियों पर बैठ गए ।

चंद्रभान ने सुन्दर और सुरेशचंद को थोड़ी देर के लिए बहार बैठने को कहा, वह सरला से अकेले में बात करना चाहता था।

चंद्रभान काफी देर तक सरला को समझाता रहा ,पंरतु सरला एक रट लगाती रही कि वो आरिफ़ से हर हाल में शादी करेगी , उसने उल्टा चंद्रभान पर ही रौब दिखाते हुए कहा कि वो कोर्ट मेरिज कर लेगी और पुलिस भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी ।

थक कर चंद्रभान ने सुन्दर और सुरेशचंद्र को अंदर बुला लिया और कहा – देखिये सुरेश भाई साहब यदि सरला अपनी मर्जी से शादी करना और धर्मपरिवर्तन करना चाहती है तो आप और हम कुछ नहीं कर सकते ।

सुन्दर इतना सुनते ही कुछ कहना चाहता था परन्तु चंद्रभान ने  इशारे से चुप रहने को कहा , फिर वो सरला कि तरफ मुड़ते हुए बोला – सरला बेटी , हम तुम्हारे फैसले को नहीं रोकेंगे , तुम्हे जो करना है वो तुम कर सकती हो , पर इसके लिए तुम्हे हमारी कुछ शर्ते माननी पड़ेगी ।

वो क्या अंकल ? – सरला बोली

चंद्रभान ने कहा – ज्यादा कुछ नहीं बस  तुम्हे दो दिन मेरे घर रहना पड़ेगा , इसके बाद मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारी शादी आरिफ़ से ही होगी ।

पर  अंकल…  सरला  ने कुछ कहना चाहा

चंद्रभान ने सरला के शब्द  पुरे होने से पहले ही कहा -‘ चिंता मत करो बेटी तुम्हारी उम्र कि मेरी भी एक बेटी है , पूरा परिवार है तुम्हे किसी बात कि शिकायत नहीं होगी । बस तुम्हे मेरा कुछ कहना मानना होगा और फिर मेरे घर पर तुम अपनी माता जी को भी ला सकती हो ।

सरला ने सुरेशचंद्र कि तरफ देखा , सुरेशचंद्र ने सहमति से सर हिलाया ।

ठीक है अंकल मैं तैयार हूँ – सरला ने कहा ।

तो ठीक है तुम आरिफ का पता और फोन न. दे दो  इतना कह कर चंद्रभान सुरेशचंद्र  और सुन्दर को बहार ले जाके कुछ समझाने लगा ।

तीनो ने चंद्रभान  से विदा ली और वापस घर आ गए ।

तीनो के जाने के बाद चंद्रभान ने हवालदार को बुलाया और उसे आरिफ का पता और फोन न. देते हुए कुछ समझाने लगा ।

अगले दिन सुरेशचंद्र सरला को लेके चंद्रभान के घर पंहुचा , घर का दरवाजा चंद्रभान कि बेटी ने खोला । उसने दोनों को नमस्ते किया और अंदर आने के लिए कहा ।

अंदर चंद्रभान अपनी पत्नी और दस साल के बेटे के साथ  सोफे पर बैठा था ,  उन  दोनों को देखते ही उठ  खड़ा हुआ और  सुरेश चन्द्र से हाथ मिलाया , सरला ने भी दोनों से नमस्ते किया ।

चाय नास्ता करने के बाद सुरेशचंद्र वंहा से चला गया ,  उसके जाने के बाद  चंद्रभान ने सरला से कहा कि आज खाना तुम बनाओगी । सरला तैयार हो गयी और रसोई कि तरफ चल दी । अंदर जाते ही चंद्रभान ने पीछे से आवाज दी – सरला जो प्लास्टिक कि थैली में सामान रखा है वो ही बनाना है “

जी – सरला ने उत्तर दिया

सरला ने जैसे ही प्लास्टिक कि थैली खोली उसकि चीख निकल गयी , थैली में अजीब तरह का मांस रखा था , उसने जोर से कहा – मैं यह मांस नहीं बना सकती “

चंद्रभान इतना सुन कर अंदर आ गया और बोला ” तुम जिस मजहब में जा रही हो वंहा ऐसा मांस रोज बनाने पड़ेंगे और खाना भी पड़ेगा  … उस जानवर का भी मांस बनाना पड़  सकता है जिसे बचपन से तुम पुजती आ रही हो ” इतना सुनते ही ही सरला रोने लगी ।

सारा दिन सरला ने कुछ नहीं खाया , उसका मन ख़राब हो गया था। रात को जब सब खाना सोने लगे तभी चंद्रभान 6 बच्चे ले आया  जिनकी उम्र तीन महीने से ले के दस साल तक थी और बोला – सरला , आज रात यह बच्चे तुम्हारे कमरे में सोयेंगे।

सरला इतने सारे बच्चों को देख कर घबरा गई , परन्तु चंद्रभान कि बात तो उसे माननी ही थी ।

सरला जब बिस्तर पर तीन महीने के बच्चे को निप्पल से दूध पिला रही थी तभी उससे बड़े बच्चे ने पोट्टी कर दी, उसकी पोट्टी साफ़ करने लगी तो दूसरे ने पेशाब कर दिया पूरा बिस्तर गीला हो गया । इस तरह से कोई  बच्चा पोट्टी करता  तो कोई भूख से रोने लगा जाता , किसी को प्यास लगती तो किसी को किसी के पेट में दर्द होता ।

सरला सारी रात नहीं सो पायी , सुबह होते ही उन बच्चो को अपने कमरे से बहार पटकते हुए कहने लगी कि – मुझे नहीं सँभालने इतने सारे बच्चे “

चंद्रभान मुस्कुराता हुआ बोला – जिस मजहब में तुम जा रही हो वहां हो सकता है तुम्हे इससे  ज्यादा बच्चे सँभालने पड़े , क्यों कि वंहा नसबंदी करवाना “हराम” है । सरला  अब और जोर से रोने लगी ।

चंद्रभान जल्दी से बोला – चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ बहार घूमने जाना है ” सरला ने जींस टॉप पहना और तैयार हो गयी , साथ में चंद्रभान कि बेटी भी थी। पर बाहर निकलने से पहले चंद्रभान  ने सरला को एक बुर्का दिया और कहा पहन लो ।

सरला ने अनमने मन से बुर्क़े को पहना और बैठ गयी , उन्होंने सारा दिन अलग अलग जगहों पर शापिंग की , चंद्रभान कि बेटी बहुत खुश लग रही थी पर सरला उदास थी , उसे अंदर पसीने आ ,  लगता था कि अभी बेहोश हो  पड़ेगी। उसका मन कर रहा था कि बुर्का फाड़ के फेंक दे पर चंद्रभान के आगे वो बेबस थी ।

शाम को सभी वापस घर आये , सरला ने तो आते ही सबसे पहले बुर्क़े को ही उतार कर फेंका और गुस्से से बोली – यह आप मुझ से कौन सा बदला निकाल रहे हैं ?

चंद्रभान मुस्कुराते हुए बोला – बदला नहीं बल्कि यह उस मजहब में अनिवार्य है जिसमे तुम जा रही हो , ऐसा बुर्का तुम्हे रोज पहनना पड़ेगा।

अब सरला के आंसू और तेज हो गए। तभी चंद्रभान के फोन कि घंटी बजी , उसने हेलो कहा , उस तरफ हवलदार था । फोन  बाद चंद्रभान के चेहरे पर मुस्कराहट थी ।

उसने सरला से कहा ” चलो अभी थाने चलना है , तुम्हे कुछ दिखाना है ” । चंद्रभान ने सुन्दर और सुरेश को भी फोन कर थाने  आने को कहा।

थाने पहुचने पर चंद्रभान सरला को एक कमरे तक ले गया , उसने सरला को वंही रुकने को कहा । कमरे में एक छोटी सी खिड़की थी , चंद्रभान अंदर चला गया।

सरला ने झाँक कर देखा तो उसे अस्चर्य हुआ , सामने कुर्सी पर आरिफ बैठा हुआ था उसके आगे दो हवलदार पूछताछ कि मुद्रा में खड़े थे ।

उसने कान लगा के बात सुनने कि कोशिश कि , थोड़ी देर अंदर कि बाते सुन कर उसके होश उड़ गए चेहरा सफ़ेद पड़ गया ।

दरअसल आरिफ कबूल रहा था कि सरला से पहले भी उसने कई लड़कियों को अपना शिकार बनाया है । वो लड़कियों से शादी कर के उन्हें अरब के रईसों , दुबई जैसे देशो में देह व्यापार के लिए बेच देता था। वो एक ऐसी संस्था के लिए काम करता था जो देखने में आकर्षक और पढ़े लिखे लड़कों को इस काम के लिए ट्रेनिग देती थी और धन उपलब्ध करवाती थी , अधिकतर आरिफ जैसे लड़के जो धार्मिक कट्टरपन लिए ऐसी संस्थाएं उनका इस्तेमाल करती हैं ।

तभी सरला को सुरेशचंद्र और सुन्दर आते हुए दिखे , सरला भाग कर अपने पिता से लिपट गयी और रोने लगी। सुरेशचन्द्र भी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरने लगा।


कमरे के दरवाजे पर खड़ा चंद्रभान मुस्कुरा रहा था।

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