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मोदी की जापान यात्रा और गीता

आक्रोशित मन
आक्रोशित मन
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मोदी जी की जापान यात्रा को लेके जिस तरह से चर्चाए हो रही हैं वह आश्चर्य जनक है,टीवी ,अख़बार ,सोसल मिडिया हर जगह सिर्फ जापान में मोदी के क्रियाकलापों से भरे पड़े हैं।
बीजेपी भक्तगण इसे एक बड़ी कामयाबी मान रहे हैं जबकि मूल मुद्दा गायब है , यानि जिस परमाणु तकनीक लेने मोदी जी जापान गए थे उसमे वे नाकामयाब रहे । मोदी द्वारा fdi में भारी छूट का वादा करने के बाद भी जापान ने परमाणु तकनीक देने से इंकार कर दिया ।
हाँ उसके बदले में भारत को आर्थिक मदद जरुर दे दिया है , कितना अपमानजनक है उन अपने को ‘ विश्व गुरु’ कहलाने वालो के लिए की विश्व गुरु रहते हुए भी उन्हें एक जापान जैसे छोटे से देश से आर्थिक मदद मांगनी पड़ रही है।

मोदी जी कहते हैं की मेरे पास ‘ भगवत गीता ‘ के आलावा कुछ नहीं है देने को, यह भारत की दयनीय स्थिति को दर्शाता है । कितना बड़ा दुःख है यह सनातनियो के लिए की वे यह दावा करते आ रहे हैं की उनके वेद पुराणों में दुनिया की हर तकनीक मौजूद है पर वे अपनी सुरक्षा के लिए बौद्ध देश जापान से तकनीक मांगनी पड़ रही हैं।

अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जापान जैसे छोटे से देश से आर्थिक सहायता ले रहे हैं ,जो अमेरिका द्वारा लगभग तबाह हो चूका था और आये दिन प्रकृतिक आपदाए झेलता है।
पर हर बार दुगनी शक्ति से खड़ा हो जाता है क्यों की वह कर्म प्रधान देश है और बौद्ध को मानाने वाला है।
और अपने प्रधान मंत्री साहब इस पर भी यह कह रहे हैं मैं गीता ही दे सकता हूँ, शायद उन्हें नहीं पता की जापान के बौद्ध भिक्षु ओन्निशि ने भागवत गीता को ‘ धम्मपद’ की आधी नक़ल कही थी।

मोदी साहब ,आपके जरिये मैं उन धर्म गुरुओ से पूछना चाहूँगा जो दिन रात वेद पुराणों में दुनिया की सारी तकनीक, शिक्षा , आदि होने का दावा करते हैं वे क्यों नहीं गीता से सीख कर देश को जापान जितना उन्नत बना लेते हैं?
क्या आप जापानियो को गीता देके उन्हें भी अपने जैसा मानसिक और आर्थिक पिछड़ा बनाना चाहते हैं? जंहा के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और दुनिया के एक तिहाई गरीब भारत में रहते हैं।
जंहा गीता जैसे धर्म ग्रंथो के कारण जातिवाद लोगो के रक्त में समा चुका है , क्या आप जापान को भी ऐसा जातिवाद आधारित देश बनाना चाहते हैं?

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